Chamoli : ऋषिगंगा में आई आपदा के दस दिन बाद तपोवन टनल से दो और शव मिले। दोनों देहरादून के रहने वाले थे। अभी तक कुल 58 शव और 24 मानव अंग बरामद हो चुके हैं। कुल 30 शवों और एक मानव अंक की शिनाख्त हुई है। अभी भी आपदा में 146 लोग लापता हैं। मंगलवार को सुरंग से मलबा हटाने के दौरान अंदर से पानी आने लगा जिसके चलते काम रोक दिया गया। अब पंप मशीन लगाकर सुरंग से पानी निकाला जा रहा है।
सात फरवरी को ऋषिगंगा में आई आपदा में 206 लोग लापता हो गए थे, जिनको तलाशने का काम लगातार जारी है। मंगलवार को तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग से दो शव बरामद हुए, जिनकी शिनाख्त अनील पुत्र थेपा सिंह निवासी कालसी देहरादून और राहुल पुत्र कृष्ण किशोर निवासी बड़कोट रानीपोखरी डोईवाला देहरादून के रूप में हुई है। वहीं सुरंग से अब तक 11 शव बरामद हो चुके हैं।
वहीं तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग से मलबा हटाने के दौरान मंगलवार दोपहर करीब दो बजे अंदर से पानी आने लगा, जिसके बाद पाइप बिछाकर और हैवी पंप लगाकर अंदर से पानी खींचने का काम शुरू किया गया। देर शाम तक पानी निकालने का काम जारी था। ऐसे में मलबा हटाने का काम दो बजे से बंद रहा। पानी भरने से अंदर दलदल बनने की भी आशंका जताई जा रही है।
रैणी में सिल्ट हटाने में जुटी एनडीआरएफ की टीम
रैणी के पास ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और उसके आसपास मलबे के ढेर लगे हैं। यहां से सिल्ट और मलबा हटाने के लिए एनडीआरएफ के करीब 40 जवान लगे हुए हैं। एनडीआरएफ के कमांडेंट विकास ने बताया कि मलबे से संभावित जगह पर शव तलाशने का काम जारी है।
91 के लिए जा चुके डीएनए सैंपल
प्रशासन की ओर से लापता लोगों के परिजनों के सैंपल लिए जा रहे हैं। अब तक 91 लोगों के डीएनए सैंपल लिए जा चुके हैं। वहीं जोशीमठ थाने में 179 लोगों की गुमशुदगी दर्ज है। जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है उनके भी डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं।
ऋषिगंगा पर बनाए अस्थायी पुल से रोज 300 लोग कर रहे आवाजाही
रैणी गांव में ऋषिगंगा पर बीआरओ की तरफ से बनाए गए अस्थायी पुल से सीमा पर तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों के लिए भी आवागमन कुछ आसान हो गया है। हालांकि वैली ब्रिज नहीं बनने से फिलहाल वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही है, लेकिन जरूरी सामान लाने और ले जाने में कुछ आसानी हो गई है। इस पुल से हर दिन 300 से 400 लोग आवाजाही कर रहे हैं।
मलारी हाईवे को जोड़ने के लिए बीआरओ ऋषिगंगा पर वैली ब्रिज बना रहा है। इसके लिए एक तरफ से सपोर्ट दीवार बनाई जा चुकी है, जबकि दूसरी तरफ दीवार बनाने का काम चल रहा है। वैली ब्रिज बनने में अभी कुछ समय लग जाएगा और इसको देखते हुए बीआरओ ने अस्थायी पैदल पुल बना दिया है।
अस्थायी पुल बनने से लाता, सुखी, भल्लागांव, तोलमा, फागती, तमक, सुराईटोटा आदि गांवों के साथ ही मलारी में रह रहे सेना और आईटीबीपी के जवानों को भी आवागमन में सुविधा हो गई है। बीआरओ के मजदूरों को भी दूसरी तरफ जाने में अब परेशानी नहीं उठानी पड़ रही है। सेना के मेजर उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि इस पुल से हर दिन 300 से 400 लोग आवाजाही कर रहे हैं। साथ ही गांवों में रोजमर्रा की वस्तुओं को भी इसी पुल से ले जा रहे हैं।