उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सियासी उठा पटक के बीच सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने एक आरएसएस प्रचारक से मुख्यमंत्री का सफर तय किया। इसी बीच वह कई अहम पदों पर भी रहे।
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सियासी उठा पटक के बीच सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने एक आरएसएस प्रचारक से मुख्यमंत्री का सफर तय किया। इसी बीच वह कई अहम पदों पर भी रहे।
त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं। यहां 20 दिसंबर 1960 में प्रताप सिंह रावत और भोदा देवी के घर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जन्म लिया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के पिता प्रताप सिंह रावत थल सेना की बीईजी रुड़की कोर में कार्यरत रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत, 9 भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। रावत की शुरुआती पढ़ाई लिखाई खैरासैण में ही हुई।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कक्षा 10वीं की परीक्षा पौड़ी जिले में ही सतपुली इंटर कॉलेज और 12वीं की परीक्षा एकेश्वर इंटर कॉलेज से हासिल की। शुरू से ही शांत स्वभाव वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लैंसडाउन के जयहरीखाल डिग्री कॉलेज से स्नातक और गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से स्नातकोत्तर की डिग्री की। श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत 1984 वर्ष में देहरादून चले गए। उनका विवाह सुनीता रावत से हुआ। सुनीता रावत शिक्षिका हैं और देहरादून में नियुक्त हैं। इनकी दो पुत्रियां हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर वर्ष 1979 में शुरू हुआ। इस वर्ष त्रिवेंद्र सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। वर्ष 1981 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करने का उन्होंने संकल्प लिया। वर्ष 1985 में देहरादून महानगर के प्रचारक बने। वर्ष 1993 में वह भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बन गए। आला कमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत 1997 और 2002 में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बनाया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से जीत दर्ज की। उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा और 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से एक बार फिर विजयश्री प्राप्त की। वर्ष 2007 से 2012 तक भाजपा सरकार में कृषि मंत्री रहे।
वहीं, वर्ष 2012 विधान सभा चुनाव में वह रायपुर विधान सभा सीट से चुनाव लड़े और हार गए। 2014 में डोईवाला सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। साल 2014 में उन्हें झारखंड का प्रदेश प्रभारी बनाया गया। 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उन्होंने डोईवाला सीट से जीत दर्ज की। वहीं, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ उत्तर प्रदेश में सह प्रभारी रहे। सरकार के चार साल पूरे होने से मात्र नौ पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने पद से इस्तीफा दे दिया।