मुंबई,
शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि यह अफवाह है कि शिवसेना के सीएम को ढ़ाई साल बाद बदल दिया जाएगा। जब तीन दलों ने सरकार बनाई तो उन्होंने प्रतिबद्ध किया और फैसला किया कि सीएम पांच साल के लिए उद्धव ठाकरे होंगे। अगर कोई इस बारे में बात करता है तो यह झूठ और अफवाह के अलावा और कुछ नहीं है। यह विलय नहीं है बल्कि तीन दलों का गठबंधन है और सभी अपनी पार्टी का विस्तार व मजबूत करने के लिए स्वतंत्र हैं। हर चुनाव एक साथ लड़ने की कोई प्रतिबद्धता नहीं है। स्थानीय चुनावों में स्थानीय नेता निर्णय लेते हैं। हम केवल लोकसभा और राज्य चुनावों के लिए रणनीति बनाते हैं।
इधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विकल्प बनने का सपना संजो रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उनके गृह राज्य महाराष्ट्र में ही उनके सपनों को ध्वस्त करने की तैयारी कर रही है।शरद पवार ने हाल ही में अपनी पार्टी की 22वीं सालगिरह मनाते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में शासन कर रही महाविकास अघाड़ी सरकार न सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा करेगी, बल्कि कांग्रेस-राकांपा और शिवसेना मिलकर अगले विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में भी अच्छी सफलता हासिल करेंगी। महाविकास अघाड़ी में शामिल होने के बाद शिवसेना भी अगला विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने की बात करती रही है। लेकिन कांग्रेस अपने इन दोनों सहयोगी दलों से सहमत नहीं दिखाई देती। प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस अगला चुनाव अकेले लड़ेगी। इससे पहले मुंबई कांग्रेस के नेता भी अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले मुंबई महानगरपालिका चुनाव को लेकर ऐसा ही बयान दे चुके हैं। यदि कांग्रेस अपने इसी रुख पर कायम रही तो तीन दलों की महाविकास अघाड़ी बनाकर महाराष्ट्र में भाजपा को टक्कर देने की शरद पवार की योजना धूल धूसरित हो सकती है।माना जा रहा है कि कांग्रेस का यह रुख महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में कम महत्व मिलने एवं शरद पवार की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए बना है।
राज्य सरकार में कांग्रेस को विभाग भी कम महत्व के मिले हैं और उसे बार-बार अपमानित भी होना पड़ रहा है। शिवसेना द्वारा उसे कभी चरमर करती पुरानी खाट बताया जाता है, तो कभी ग्रैंड ओल्ड लेडी कहा जाता है। हाल ही में उसके एक मंत्री विजय वडेट्टीवार द्वारा महाराष्ट्र को अनलाक करने की योजना सार्वजनिक करते ही मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा उसका खंडन कर दिया गया। अगले दिन वही योजना मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा फिर जारी की गई। कांग्रेस महसूस कर रही है कि सरकार में हो रहे 100 करोड़ की वसूली जैसे भ्रष्टाचार में बदनामी का ठीकरा उसके सिर भी फूटेगा। लेकिन लाभ कुछ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर शरद पवार प्रशांत किशोर जैसे रणनीतिकारों को लेकर गैर भाजपा-गैर कांग्रेस गठबंधन की जो योजना बना रहे हैं, उसका भी ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा। संभवत: यही कारण है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता शरद की खयाली खीर में नींबू निचोड़ने की तैयारी करते दिख रहे हैं।