NEPAL :
नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खाली हो रहा है। आयात बिल बढ़ने के कारण देश का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है और उसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा है। इसको लेकर अब अंदेशा जताया जा रहा है कि नेपाल लंबे समय तक अपने आयात के मौजूदा स्तर को कायम नहीं रख पाएगा। विश्लेषकों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में नेपाल के आयात की मात्रा बढ़ी है। उधर कई आयातित वस्तुओं के महंगी हो जाने के कारण उनके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और दूसरी कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ने का खराब असर नेपाल के राजकोष पर पड़ रहा है।
आयात बिल में 20 फीसदी का इजाफा
नेपाल का कुल जितना अंतरराष्ट्रीय कारोबार होता है, उसमें 90 फीसदी हिस्सा आयात का है। इसलिए आयात बिल बढ़ने का उसकी आर्थिक हालत पर सीधा असर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सांख्यिकी प्रभाग के पूर्व प्रमुख माणिक लाल श्रेष्ठ ने कहा है- ‘इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही दाम बढ़ने के कारण आयात बिल में 20 फीसदी का इजाफा हो गया।’ पत्रकारों के एक सेमीनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई से मार्च तक के आयात की मात्रा और मूल्य पर गौर करने पर दुनिया में बढ़ी महंगाई और नेपाल के बढ़े आयात बिल में सीधा संबंध नजर आता है। उन्होंने कहा कि इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
विश्व बैंक ने पिछले 26 अप्रैल को कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट जारी की थी। उसमें कहा गया कि यूक्रेन युद्ध से विश्व कमोडिटी मार्केट को तगड़ा झटका लगा है। इससे विश्व व्यापार, उत्पादन और उपभोग के पैटर्न में बदलाव आ गया है। इस वजह से 2024 तक कीमतों का स्तर ऊंचा बना रहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ, तो नेपाल के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। कमोडिटी के दाम बढ़ने का मतलब यह हुआ है कि नेपाल को अपने पहले जितने आयात के लिए ही अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। माणिक लाल श्रेष्ठ ने कहा- ‘आयातित वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण नेपाल का चालू खाते का घाटा बढ़ जाएगा। उसका दबाव अगले वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार पर महसूस किया जाएगा।’
नेपाल को विदेशी मुद्रा की आमद मुख्य रूप से विदेशों में काम करने वाले नेपालियों की भेजी गई कमाई से होती है। पिछले पांच वर्षों में इस स्रोत का हिस्सा औसतन 54.6 फीसदी रहा है। काठमांडू स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट स्टडीज के कार्यकारी निदेशक बिस्वास गौचान ने हाल में एक प्रेजेंटेशन में बताया- 2015-16 तक बाहर से कमा कर भेजी गई रकम व्यापार घाटे को पाट देती थी। लेकिन पिछले पांच वर्षों में इस स्रोत से आमदनी सिर्फ 7.8 फीसदी बढ़ी है। नतीजतन चालू खाते के घाटे में औसतन 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।