लखनऊ :
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिविल अस्पताल में कार्यरत डॉ नितिन मिश्रा कोविड-19 पॉजिटिव हुए हैं. डॉ नितिन मिश्रा का यूं तो पॉजिटिव होना बहुत बड़ी खबर नहीं है लेकिन जब आपको यह पता चले कि उन्होंने वैक्सी के दोनों डोज़ ले लिए थे और इसके बावजूद डॉ नितिन मिश्रा की जांच पॉजिटिव आई है, ऐसे में हर किसी के दिमाग में सवाल उठता है कि आखिर वैक्सीन का असर कोरोना वायरस को हराने में कितना नजर आता है?
लखनऊ के सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने इस बात की पुष्टि की है कि डॉ नितिन मिश्रा कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. फिलहाल उनको घर पर ही क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है. डॉ नितिन मिश्रा ने वैक्सीन के दोनों डोज़ ले लिए उसके बाद उनको बुखार और सर्दी, जुकाम की दिक्कत पेश आई जांच कराने पर उनके होश उड़ गए जब वह कोविड19 पॉजिटिव निकले.
राजधानी लखनऊ के पूर्व सीएमओ रहे और मौजूदा वक्त में हिंद मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे डॉ एसएनएस यादव का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन को लेकर लोगों के अंदर कई तरह की मिथ भी हैं. डॉ एसएनएस यादव का कहना है, “किसी भी टीके की सफलता का दर 70 से 75 फीसद ही होती है. देश भर में वैक्सीनेशन के बड़े स्तर पर कार्य दशकों से चल रहे हैं. वैक्सीनेशन हमेशा 100 फीसद कारगर नहीं होता है इसलिए कोविड-19 के मामले में भी हमें बहुत ज्यादा सफलता की दर नहीं मानना चाहिए.”
वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना पॉजिटिव होने के पीछे तीन कारण…
1- जिस व्यक्ति को टीका लगा हो उसकी इम्युनिटी बेहद कम हो और टीका लगने के बाद भी एंटीबॉडी ना बनी हो.
2- हो सकता है कि जिस व्यक्ति को टीका लगा हो उसमें इम्युनिटी सिस्टम बना जरूर हो लेकिन कोरोना वायरस हायर लोड का हो और उसने एंटीबॉडी को ही दबा दिया हो.
3- वैक्सीनेशन की सफलता का दर क्योंकि 70 से 75% के बीच होता है ऐसे में इस बात की भी उम्मीद है कि जिस व्यक्ति को कोविड-19 का टीका लगा हो वह व्यक्ति असफल टीकाकरण के दायरे में आ गया हो.