Breaking News
चारधाम यात्रा – सात दिन में 12.48 लाख पहुंची पंजीकरण की संख्या
मुख्यमंत्री धामी ने हिन्दू नव वर्ष महोत्सव में लिया हिस्सा
उत्तराखंड में सेब उत्पादन की अपार संभावनाएं- डॉ धन सिंह रावत
कांग्रेस के दिग्गज नेता हरक सिंह रावत की पुत्रवधु अनुकृति ने थामा बीजेपी का दामन
चारधाम यात्रा मार्गों पर मिलेगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं- डा. धन सिंह रावत
दार्जिलिंग की उपेक्षा कर रही है ममता – कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज
सीएम धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने परिवार संग किया मतदान
जनता अपना वोट विपक्ष को देकर खराब नहीं करेगी – महेंद्र भट्ट
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने अपने विधानसभा क्षेत्र में किया मतदान

महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकपाल ने कैश फॉर क्वेरी केस में CBI जांच का दिया आदेश

नई दिल्ली। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।लोकपाल ने मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया कि वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा के खिलाफ सवाल पूछने के बदले पैसे लेने के आरोपों की जांच करे और छह महीने के भीतर अपना निष्कर्ष पेश करे।

मोइत्रा को पिछले साल दिसंबर में ‘‘अनैतिक आचरण’’ के लिए लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था और उन्होंने अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उन्हें पार्टी ने पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से दोबारा अपना उम्मीदवार बनाया है।

लोकपाल का निर्देश भाजपा के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे की उस शिकायत पर फैसला करते समय आया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मोइत्रा ने दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे थे और उद्योगपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था।

लोकपाल के आदेश में कहा गया, ‘रिकॉर्ड में मौजूद संपूर्ण सामग्री का सावधानीपूर्वक आकलन और उस पर विचार करने के बाद, इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं रह गया है कि आरपीएस (प्रतिवादी लोक सेवक) के खिलाफ लगाए गए आरोप, खासकर उनके पद के मद्देनजर बेहद गंभीर प्रकृति के हैं और अधिकतर आरोप ठोस सबूतों द्वारा समर्थित हैं।’

उसने आदेश में मोइत्रा का आरपीएस के रूप में जिक्र किया। लोकपाल पीठ में न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी (न्यायिक सदस्य) और सदस्य अर्चना रामसुंदरम और महेंद्र सिंह शामिल थे। उसने कहा, ‘हम सीबीआई को निर्देश देते हैं कि वह शिकायत में लगाए गए आरोपों के सभी पहलुओं की जांच करें और यह आदेश मिलने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर जांच रिपोर्ट की एक प्रति जमा करें।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top