उत्तराखंड / नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जाति प्रमाण पत्र के मामले में गलत तरीके से हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या करने पर ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी को काशीपुर की तहसीलदार पूनम पंत को निलंबित करने के आदेश पारित कर दिये हैं। एक अभ्यर्थी द्वारा जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन करने पर तहसीलदार ने याचिकाकर्ता से कहा था कि जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए उसे उच्च न्यायालय से इसका एक आदेश प्राप्त करना होगा।
काशीपुर के मो. इमरान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में इमरान ने कहा कि वह तेली समाज का व्यक्ति है। तेली समाज को राज्य सरकार द्वारा ओबीसी जाति के रूप में मान्यता दी गई है। इमरान ने 1994 के अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक ओबीसी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था, जिसे तहसीलदार द्वारा खारिज कर दिया गया। तहसीलदार ने कहा कि याचिकाकर्ता को जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए उच्च न्यायालय से एक आदेश प्राप्त करना होगा। 6 अगस्त 2021 को याचिकाकर्ता के भाई ने कोर्ट से इस संबंध में आदेश प्राप्त किया था।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने तहसीलदार काशीपुर के इस निर्णय को न्यायिक धारणा के खिलाफ मानते हुए याचिकाकर्ता को तुरंत 2021 में मो. रिजवान बनाम उत्तराखंड सरकार में दिए निर्देशों के अनुसार ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि तहसीलदार ने हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की है। हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी को तहसीलदार के विरुद्ध उचित प्रशासनिक कार्रवाई कर निलंबन के निर्देश दिए हैं।