लखनऊ : अपराध की नर्सरी माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में अपराधियों के असलहे तो गरजते रहे, लेकिन पुलिस के बढ़ते कदमों ने संगठित अपराध को कुचलने में कसर भी नहीं छोड़ी। सूबे में सिसायी उतार-चढ़ाव के बीच कानून-व्यवस्था की बदलती धुरी को देखें तो बीते चार वर्षों में बड़ा बदलाव साफ नजर आता है। बेशक, अपराध शून्य कभी नहीं हो सकता, लेकिन माफिया व दुर्दांत अपराधियों पर कार्रवाई का संदेश समाज के अंतिम सिरे तक जाता है। महज आंकड़े नहीं, जुबां पर भी है कि कानून को कठपुतली समझने वाले प्रदेश के बड़े-बड़े माफिया का साम्राज्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रहार से जमींदोज होता गया। दंगाई दुबके रहे और जिन्होंने सिर उठाने की कोशिश की, उनकी संपत्ति जब्त कर क्षतिपूर्ति वसूली जैसे फैसले चर्चा में रहे।

उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, अशरफ सहित तमाम ऐसे नाम हैं, जिनके नाम की दशकों तक दहशत रही। सियासी मौसम कोई भी रहा हो, लेकिन सत्ता-संरक्षण की छतरी इनके सिर से हटी नहीं। यह नाम बीते चार बरस से भी चर्चा में हैं। फर्क ये है कि अब ये कानून के निशाने पर हैं। दर्जनों माफिया और गैंगस्टर की लगभग 950 करोड़ रुपये की संपत्ति योगी आदित्यनाथ सरकार ने न सिर्फ जब्त कराई, बल्कि दहशत और काली कमाई से बनाई इमारतों पर बुल्डोजर चलाकर समाज को कानून के राज का संदेश भी दिया।

कई कानून बनाकर पेश की मिसाल : इसी तरह उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून और उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली कानून बनाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश भर में चर्चा में आ गए। दरअसल, चार वर्ष में एक भी दंगा न होने देने को सरकार अपनी उपलब्धि मानती है, लेकिन सीएए-एनआरसी के विरोध में जब हिंसक प्रदर्शन हुए तो दंगाइयों की संपत्ति से सरकारी क्षति की वसूली का कानून बनाकर सरकार ने फिर आंखें तरेर दीं। शोहदों के पीछे एंटी रोमियो स्क्वॉयड लगाने वाली प्रदेश सरकार ने जबरन या धोखे से मतांतरण कराने वालों के खिलाफ कानून बनाकर भी मिसाल पेश की।

मुठभेड़ में ढेर 135 अपराधी : योगी आदित्यनाथ शासनकाल में 20 मार्च 2017 से नौ मार्च 2021 के बीच पुलिस व अपराधियों के बीच 7791 मुठभेड़ हुईं। इनमें पुलिस की गोली लगने से 135 अपराधी मारे गए, जबकि 3039 घायल हुए। मुठभेड़ में 16,661 अपराधी गिरफ्तार हुए।

महिला सुरक्षा को चला मिशन : महिला सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखते हुए सरकार ने पहले-पहल एंटी रोमियो स्क्वॉयड बनाया। 218 पॉक्सो कोर्ट बनाई गईं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति शुरू किया, जिसके तहत 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाई गई हैं।

संसाधनों से भी दी पुलिस को मजबूती : योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी पुलिस के न सिर्फ इकबाल को बढ़ाया, बल्कि संसाधनों के लिए खजाना भी खोला। दिन-रात ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों का हाल देखने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे पहले लखनऊ पुलिस लाइन पहुंचे। उनके जर्जर आवास व बैरक को देखने के बाद उन्हें सुधारने की मुहिम शुरू की।

यूपी पुलिस को मिली ताकत : 137640 पदों पर नई भर्तियां, 59 नए थाने व 28 पुलिस चौकियां, चार नए महिला थाने, 40 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, 10 नए सतर्कता अधिष्ठान, 16 नए साइबर क्राइम थाने, 69 नए अग्निशमन केंद्र और हर जिले में एक-एक विद्युत निरोधक पुलिस थाना। ट्रांजिस्ट हास्टल व बैरक समेत 577 आवासीय निर्माण।

अपराधियों पर शिकंजा : वर्ष 2017 से वर्ष 2020 के बीच गैंगस्टर एक्ट के 12032 मुकदमे और 37511 आरोपितों की गिरफ्तारी।

अपराध का गिरा पारा : वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2020 में संगीन अपराधों में कमी दर्ज की गई। पुलिस रिकार्ड के अनुसार लूट में करीब 66 फीसद, हत्या में करीब 19 व दुष्कर्म की घटनाओं में 45 फीसद से अधिक कमी दर्ज की गई है।

लागू की पुलिस कमिश्नर प्रणाली : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का फैसला किया।