नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा में भाग लिया.
फारूक अब्दुल्ला ने सदन में कहा, ‘किसानों का मामला है. हमने कानून बनाया है, यह कोई खुदाई किताब नहीं है कि इसमें तब्दीली नहीं कर सकते. अगर किसान चाहते हैं कि आप इसे रद्द करें तो रद्द करने में क्या जाता है? आप किसानों से बात कीजिए और उनसे सलाह करके वो कानून लाइए जो वो चाहते हैं.’ उन्होंने आगे सरकार से कहा कि कोई हल निकालिए, हम यहां हल निकालने के लिए ही बैठे हैं. मुश्किलें खड़ी करने के लिए नहीं बैठे हैं.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि डॉक्टर कभी खून से यह नहीं पूछता कि वह हिंदू का है या मुसलमान का है. भगवान ने हम सब को एक जैसा बनाया है.
फारूक अब्दुल्ला के भाषण का सपा के अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने समर्थन किया. अखिलेश ने गंगा-जमनी तहजीब को भारत की पहचान बताया. जबकि सौगत राय ने कहा कि अब्दुल्ला के भाषण ने उन्हें रुला दिया.