देहरादून में सहसपुर के शंकरपुर गांव से अगवा किए गए किराना व्यापारी के पांच वर्षीय बेटे की अपहरणकर्ताओं ने हत्या कर दी। अपहरणकर्ताओं ने परिवार से 10 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी, लेकिन पहचाने जाने के डर से 10 घंटे के भीतर आरोपियों ने उसे मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर शव को देवबंद के पास साखन नहर से बरामद कर लिया है।
मंगलवार शाम शंकरपुर निवासी पप्पू गुप्ता के पांच वर्षीय बेटा अभय अचानक गायब हो गया था। अभय की मां की तहरीर पर पुलिस ने गुमशुदगी (आईपीसी 365 यानी अपहरण) दर्ज कर ली थी। शाम करीब साढ़े सात बजे पप्पू गुप्ता के मोबाइल पर 10 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई और कुछ देर बाद जगह बताने को कहा। फोन आते ही घरवालों के होश उड़ गए। साथ ही पुलिस में भी हड़कंप मच गया। मौके पर थाना पुलिस और कुछ देर बाद एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत भी पहुंच गए।
पुलिस और एसओजी ने पड़ताल शुरू की तो पास के एक मकान में वेल्डिंग का काम कर रहे अनीस सलमानी का नाम सामने आया। पता चला कि वह घटनास्थल के पास दिखाई दिया था। कुछ लोगों ने यह जानकारी भी दी कि अनीस बच्चे से बात कर रहा था। इस पर पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो अनीस बच्चे के साथ बात करता दिखाई दिया। इसके बाद हाईवे के सीसीटीवी कैमरों में एक काले रंग की एसयूवी कार पांवटा साहेब की ओर जाते दिखी। यह कार अनीस निवासी अमरगढ़, पूरवाला, सिरमौर हिमाचल प्रदेश के नाम पर थी।
पुलिस ने इस अनीस के घर पर दबिश दी तो पता चला कि अनीस व उसका एक अनीस नाम का ही साथी एक बच्चे को लेकर घर पर आए थे। घर पर उन्होंने खाना भी खाया और एक कॉल आने के बाद बच्चे को लेकर चले गए। अनीस ने बताया था कि वह इस बच्चे को यूपी स्थित उसकी रिश्तेदारी में छोड़ने जा रहे हैं। अनीस की पत्नी ने पुलिस को एक नंबर भी दिया, जो उसने अपने करीबियों को ही दे रखा था। इस नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो आरोपियों की लोकेशन का पता चलने लगी।
आरोपी हथिनीकुंड बैराज होते हुए यूपी की सीमा में प्रवेश कर गए। आखिर कार पुलिस ने दोनों को वाहन समेत यूपी के बादशाहीबाग से गिरफ्तार कर लिया। सख्ती से पूछताछ में आरोपियों न ेबताया कि उन्होंने बच्चे की हत्या कर दी है और शव को देवबंद के पास साखन नहर में फेंक दिया है। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने शव को बरामद कर लिया।
शव रखकर पत्थरों से भर दिया था बोरा
अपहरणकर्ताओं ने पूछताछ में बताया कि वह बच्चे को ज्यादा देर तक संभाल नहीं पा रहे थे। वह बहुत रो रहा था। इसके बाद उन्होंने वापस आने की योजना बना ली। लेकिन, फिर सोचा कि यदि बच्चे को छोड़ा जाएगा तो बच्चा उन्हें पहचान लेगा। इस कारण उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को एक बोरे में रखा और उसे पत्थरों से भरकर नहर में फेंक दिया। नहर में पानी कम था। ऐसे में यह बोरा ज्यादा दूर नहीं जा सका। यदि पानी अधिक होता तो पुलिस को शव बरामद करने में भी परेशानी होती।
जनवरी में बनी थी योजना, फोन करने के लिए छीना था मोबाइल
आरोपियों के ऊपर कर्ज बताया जा रहा है। ऐसे में उन्होंने बच्चे के अपहरण की योजना जनवरी में ही बना ली थी। उन्हें इतना पता था कि यदि अपना मोबाइल इस्तेमाल किया तो फंस जाएंगे। लिहाजा, उन्होंने जनवरी अंत में एक व्यक्ति का मोबाइल छीना था। इसी मोबाइल से फिरौती के लिए परिवार को फोन किया गया था। यही नंबर उसने अपने करीबियों को दिया था।
पहले ही हो गया था पिता को शक
बच्चे के पिता को पहले से ही अनीस पर शक था। फिरौती के लिए दो बार फोन किया गया था। इसके बाद जब पुलिस ने पूछताछ की तो बच्चे के पिता ने अनीस पर ही शक जताया था। इसी के बाद पुलिस की जांच आगे बढ़ी और आरोपियों को पकड़ा जा सका। टीम में एसपी स्वतंत्र कुमार, एसपी ट्रैफिक स्वप्न किशोर सिंह, सीओ बीडी उनियाल, इंस्पेक्टर एसओजी एश्वर्य पाल, एसएचओ विकासनगर राजीव रौथाण, एसओ सहसपुर नरेंद्र गहलावत, एसओ कालसी गिरीश नेगी आदि शामिल रहे।