ऋषिगंगा और धौली गंगा घाटी में रविवार सुबह आया सैलाब लोगों को तिनकों की तरह बहाकर ले गया। कई मजदूर और कर्मचारी निर्माणाधीन तपोवन में बिजली परियोजना की सुरंगों में फंस गए। जो लोग परियोजनाओं अन्य साइट पर काम कर रहे थे, वे एकाएक आए सैलाब का शिकार हो गए।
रैणी निवासी लक्ष्मण सिंह, केशर सिंह, अवतार सिंह ने बताया कि रविवार को वह सभी लोग धूप सेंक रहे थे। करीब 10:10 बजे ऋषिगंगा घाटी में भारी गर्जन शुरू हो गई। पहले तो गांव वालों के समझ में कुछ नहीं आया, लेकिन कुछ देर बार जब ऋषिगंगा में बड़े-बड़े बोल्डर पेड़ और मलबा आने लगा तो गांव में अफरातफरी मच गई। हालांकि, गांव नदी से ऊपर होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन जब मलबे का सैलाब ऋषि गंगा और धोली के संगम पर पहुंचा तो तबाही फैल गई। ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट प्रबंधन का कहना है कि घटना के दौरान उनके 40 कर्मचारी और मजदूर साइट पर काम कर रहे थे। इनमें से 9 लोग घायल हो गए जबकि 31 लोगों का देर शाम तक पता नहीं चल पाया।
ऋषिगंगा, धौली, के संगम से तपोवन प्रोजेक्ट स्थल करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर है। सैलाब को यहां पहुंचने में करीब आधा घंटा लगा। इस दौरान 26 मजूदर और कर्मचारी परियोजना की सुरंगों में और 142 मजदूर व कर्मचारी साइटों में काम कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर लोग नदी में आए सैलाब का शिकार हो गए। रेस्क्यू टीमों ने देर शाम तक तपोवन में सुरंगों में फंसे लोगों में 25 को सुरक्षित निकाल लिया। जबकि दूसरी सुरंग में फंसे लोगों की तलाश जारी है।