…….सर्वे में दावा- छोटी कंपनियों और स्टार्टअप पर दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर
……..59 फीसदी एमएसएमई-स्टार्टअप साल के अंत तक बंद हो जाएंगे या बिक जाएंगे
…….49 फीसदी कंपनियां जुलाई तक कर्मचारियों के वेतन में कर सकती हैं कटौती
संक्रमण की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर छोटी कंपनियों और स्टार्टअप पर पड़ा है। लोकल सर्किल के एक सर्वे के मुताबिक, महामारी और लॉकडाउन की वजह से देश की आधी से ज्यादा छोटी कंपनियां एवं स्टार्टअप बंद हो सकते हैं या फिर बिक सकते हैं। यह सर्वे देश के 171 जिलों के 6,000 से ज्यादा स्टार्टअप और एमएसएमई से बातचीत पर आधारित है।
सर्वे के मुताबिक, देश के 59 फीसदी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और स्टार्टअप पूंजी नहीं होने की वजह से इस साल के अंत तक बंद हो जाएंगे या फिर खुद बिक जाएंगे। 8 फीसदी का कहना है कि वह अगले छह महीने में अपना कारोबार बेच देंगे। वहीं, महज 22 फीसदी एमएसएमई और स्टार्टअप ही तीन महीने से ज्यादा समय तक खुद को चलाने में सक्षम हैं।
सर्वे में शामिल 37 फीसदी एमएसएमई एवं स्टार्टअप के पास एक से तीन महीने तक कारोबार चलाने भर की पूंजी बची है। 41 फीसदी के पास एक महीने से कम समय तक के लिए पैसा बचा है या फिर पूंजी ही नहीं है। 49 फीसदी ऐसे हैं, जो जुलाई तक कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों में कटौती की योजना बना रहे हैं।
पिछले साल से ही दिखने लगा था असर
सर्वे में कहा गया है कि पिछले साल जब महामारी की शुरुआत हुई थी, तभी से इन कंपनियों पर असर दिखना शुरू हो गया था। मार्च से सितंबर, 2020 तक लॉकडाउन और इस साल फिर से लॉकडाउन लगने के कारण इनका कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
आलम यह है कि बिक्री में गिरावट से ज्यादातर कंपनियों के पास कारोबार चलाने के लिए पैसे तक नहीं बचे हैं। इस कारण एमएसएमई और स्टार्टअप को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उधर, आरबीआई भी एमएसएमई, खुदरा कारोबार, रेस्टोरेंट्स, मॉल और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में सर्वे करने की योजना बना रहा है ताकि पता लग सके कि इन पर महामारी का कितना असर हुआ है।
एमएसएमई को ईएमआई में राहत दे आरबीआई
भारतीय सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम संगठन ने रिजर्व बैंक से मांग की है कि महामारी के दबाव से उबरने के लिए गारंटी वाले कर्ज पर ईएमआई में राहत दी जाए। संगठन ने 10 सूत्री मांगों में कहा है कि एमएसएमई को कर्ज पुनर्गठन और एनपीए मानकों में भी छूट दी जानी चाहिए। लगातार लॉकडाउन और बढ़ते संक्रमण से हजारों एमएसएमई और लाखों कामगारों पर काफी बुरा असर पड़ा है।